रेड ब्रिगेड - एक ऐसी संस्था जिसका नाम सुन कांपती है मनचलों की रूह
Red Brigade - Raise your voice against Sexual Violence
जहां देश में महिलाओं के साथ बलात्कार और छेड़छाड़ की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, तो वहीं कुछ ऐसी भी महिलाएं हैं, जो समाज से इन घटनाओं को खत्म करने का जिम्मा उठाए हुए हैं। ऐसी ही एक महिला है उषा विश्वकर्मा। जिन्होंने डर और हालातों से हार नहीं मानी और डटकर उनका सामना किया। उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में जन्मीं उषा विश्वकर्मा का उनके दोस्त ने ही यौन उत्पीड़न किया। इस हादसे से आहत होकर उषा ने मनचलों को सुधारने की ठानी। उनके साहस और जज्बे का ही परिणाम है कि आज लखनऊ और वाराणसी क्षेत्र के मनचलों की रूह 'रेड बिग्रेड' का नाम सुनकर ही कांप जाती है।
Images of Red Brigade
*All Images are taken from Google Image
रेड ब्रिगेड की संयोजक एवं संस्थापक सदस्य ऊषा विश्वकर्मा ने WikiLeaks4India से EXCLUSIVE बातचीत की। नीचे मौजूद है उनसे बातचीत के कुछ अंश।
सवाल- आपका पूरा नाम क्या है, और आपने कब और किस वजह से ‘रेड ब्रिगेड’ संस्था की स्थापना की?
उषा- मेरा नाम उषा विश्वकर्मा है। मैंने सन् 2011 में ‘रेड ब्रिगेड’ संस्था की स्थापना की। इसकी स्थापना के पीछे वजह थी मेरे साथ स्कूल में पढ़ाने वाला मेरा दोस्त। जिस पर मैं बहुत विश्वास करती थी। उसी ने एक दिन मेरा यौन उत्पीड़न किया। इस घटना के बाद मैं पूरी तरह से जिंदगी से निराश हो गई थी। मेरे पास जिंदगी को जीने का कोई मकसद ही नहीं रह गया था। तभी मुझे उन महिलाओं का ख्याल आया जिनके साथ बलात्कार और छेड़छाड़ की घटनाएं होती हैं। बलात्कार की शिकार महिलाएं डर की वजह से ना तो किसी को कुछ बता पाती है और ना ही उनकी कोई सुनता है। तब मैंने ‘रेड ब्रिगेड’ नाम की संस्था बनाई। आज रेड ब्रिगेड का नाम सुनकर ही मनचलों की रूह कांप जाती है।
सवाल- आपने अपनी संस्था का नाम ‘रेड ब्रिगेड’ क्यों रखा?
ऊषा- संस्था बनाने के बाद हमने एक ड्रेस कोड बनाया। जिसका रंग लाल और काला रखा गया। इसका मतलब था संघर्ष के साथ विरोध करना। इसके बाद हम महिलाओं की समस्याओं पर उनसे बात करने लगे। हमने नुक्कड़ नाटकों के जरिये महिलाओं और समाज के लोगों को जागरूक करना शुरू कर दिया। इस अभियान के बाद शहर में जहां कहीं भी लोग इस संस्था की लड़कियों को देखते उन्हें ‘रेड ब्रिगेड’ के नाम से पुकारने लगते। जनता के द्वारा दिया यह नाम संस्था की सदस्यों को बहुत रास आया और हमने इसका नाम ‘रेड बिग्रेड’ ही रख दिया।
सवाल- आपके दोस्त ने आपका यौन उत्पीड़न किया था तो क्या आपने उसके खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करवायी थी?
ऊषा- नहीं, क्योंकि उस समय लड़की के लिए ये सब बोलना ही बहुत बड़ी बात होती थी। मेरे को किसी का कोई स्पोर्ट भी नहीं मिला इसलिए मैंने पुलिस में मामला दर्ज नहीं करवाया था।
सवाल- ‘रेड ब्रिगेड’ से फिलहाल कितनी लड़कियां जुड़ी हुई?
ऊषा- रेड ब्रिगेड से फिलहाल लखनऊ और वाराणसी में 30-30 लड़कियां जुड़कर काम कर रहीं हैं। वैसे पूरे भारत में हमारी संस्था के साथ 8 हजार लड़कियां जुड़ी हुई हैं।
सवाल- ‘रेड ब्रिगेड’ की तरफ से लड़कियों की आत्मरक्षा के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
ऊषा- हम 5 से 11 साल के बच्चों को ‘गुड टच’ व ‘बैड टच’ के अंतर को समझाते हैं। हमारा मानना है कि देश में ज्यादातर 5 से 11 साल के बच्चे यौन उत्पीड़न की चपेट में आते हैं।
सवाल- आपकी संस्था के द्वारा अब तक कितनी लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाए जा चुके हैं?
ऊषा- अभी तक हम 34 हजार लड़कियों को यौन उत्पीड़न के खिलाफ प्रशिक्षण दे चुके हैं और साथ ही हमने मिशन ‘वन मिलियन’ पर काम करना शुरू कर दिया है। इस मिशन के तहत देश भर की 10 लाख लड़कियों को आत्मरक्षा का गुर सिखाया जाएगा।
सवाल- ‘रेड ब्रिगेड’ के बनने से लखनऊ और वाराणसी में लड़कियों के साथ मनचलों द्वारा छेड़छाड़ की घटनाओं में कितनी कमी आई है?
ऊषा- रेड ब्रिगेड बनाने के बाद यौन उत्पीड़न या छेड़छाड़ की घटनाओं में कमी तो नहीं आई है, लेकिन पहले जो लड़कियां अपने साथ हो रही यौन उत्पीड़न या छेड़छाड़ की घटनाओं पर खुलकर सामने आने से डरते थी, वो अब खुलकर सामने आ रही हैं। ये हमारे लिए बहुत अच्छी बात है। अभी हुए पंचायत चुनाव को ही देख लें तो इसमें 40% महिलाओं ने हिस्सा लिया है और आगे निकल कर आई हैं। लेकिन इसी के बीच में तकरीबन 850 से ज्यादा पुलिस में मामले दर्ज हुए हैं। जो कि यौन उत्पीड़न, रेप और गैंग रेप से जुड़े मामले हैं। साथ ही बहुत सारे ऐसे भी मामले होंगे जो दर्ज ही नहीं हुए होंगे। लेकिन उसको सरकार नहीं देख रही है। सरकार सिर्फ पंचायत चुनाव को हाईलाइट कर रही है।
सवाल- आपकी संस्था को प्रशासन की तरफ से कितनी मदद मिलती है?
ऊषा- हमारी संस्था को प्रशासन की तरफ के कोई मदद नहीं मिलती है लेकिन प्रशासन को पता होता है कि अगर वो हमारी मदद नहीं करेंगे तो हम धरना प्रदर्शन करने लगते हैं। लड़कियां थानों में जाकर बैठ जाती हैं। पुलिस व्यक्ति को देखकर ही कार्रवाई करती हैं, अगर सामने वाला व्यक्ति मजबूत होता है तो पुलिस कार्रवाई नहीं करती है। पुलिस द्वारा हमारे साथ भेदभाव किया जाता है।
सवाल- आपने अपनी संस्था का नाम ‘रेड ब्रिगेड’ क्यों रखा?
ऊषा- संस्था बनाने के बाद हमने एक ड्रेस कोड बनाया। जिसका रंग लाल और काला रखा गया। इसका मतलब था संघर्ष के साथ विरोध करना। इसके बाद हम महिलाओं की समस्याओं पर उनसे बात करने लगे। हमने नुक्कड़ नाटकों के जरिये महिलाओं और समाज के लोगों को जागरूक करना शुरू कर दिया। इस अभियान के बाद शहर में जहां कहीं भी लोग इस संस्था की लड़कियों को देखते उन्हें ‘रेड ब्रिगेड’ के नाम से पुकारने लगते। जनता के द्वारा दिया यह नाम संस्था की सदस्यों को बहुत रास आया और हमने इसका नाम ‘रेड बिग्रेड’ ही रख दिया।
सवाल- आपके दोस्त ने आपका यौन उत्पीड़न किया था तो क्या आपने उसके खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करवायी थी?
ऊषा- नहीं, क्योंकि उस समय लड़की के लिए ये सब बोलना ही बहुत बड़ी बात होती थी। मेरे को किसी का कोई स्पोर्ट भी नहीं मिला इसलिए मैंने पुलिस में मामला दर्ज नहीं करवाया था।
सवाल- ‘रेड ब्रिगेड’ से फिलहाल कितनी लड़कियां जुड़ी हुई?
ऊषा- रेड ब्रिगेड से फिलहाल लखनऊ और वाराणसी में 30-30 लड़कियां जुड़कर काम कर रहीं हैं। वैसे पूरे भारत में हमारी संस्था के साथ 8 हजार लड़कियां जुड़ी हुई हैं।
सवाल- ‘रेड ब्रिगेड’ की तरफ से लड़कियों की आत्मरक्षा के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
ऊषा- हम 5 से 11 साल के बच्चों को ‘गुड टच’ व ‘बैड टच’ के अंतर को समझाते हैं। हमारा मानना है कि देश में ज्यादातर 5 से 11 साल के बच्चे यौन उत्पीड़न की चपेट में आते हैं।
सवाल- आपकी संस्था के द्वारा अब तक कितनी लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाए जा चुके हैं?
ऊषा- अभी तक हम 34 हजार लड़कियों को यौन उत्पीड़न के खिलाफ प्रशिक्षण दे चुके हैं और साथ ही हमने मिशन ‘वन मिलियन’ पर काम करना शुरू कर दिया है। इस मिशन के तहत देश भर की 10 लाख लड़कियों को आत्मरक्षा का गुर सिखाया जाएगा।
सवाल- ‘रेड ब्रिगेड’ के बनने से लखनऊ और वाराणसी में लड़कियों के साथ मनचलों द्वारा छेड़छाड़ की घटनाओं में कितनी कमी आई है?
ऊषा- रेड ब्रिगेड बनाने के बाद यौन उत्पीड़न या छेड़छाड़ की घटनाओं में कमी तो नहीं आई है, लेकिन पहले जो लड़कियां अपने साथ हो रही यौन उत्पीड़न या छेड़छाड़ की घटनाओं पर खुलकर सामने आने से डरते थी, वो अब खुलकर सामने आ रही हैं। ये हमारे लिए बहुत अच्छी बात है। अभी हुए पंचायत चुनाव को ही देख लें तो इसमें 40% महिलाओं ने हिस्सा लिया है और आगे निकल कर आई हैं। लेकिन इसी के बीच में तकरीबन 850 से ज्यादा पुलिस में मामले दर्ज हुए हैं। जो कि यौन उत्पीड़न, रेप और गैंग रेप से जुड़े मामले हैं। साथ ही बहुत सारे ऐसे भी मामले होंगे जो दर्ज ही नहीं हुए होंगे। लेकिन उसको सरकार नहीं देख रही है। सरकार सिर्फ पंचायत चुनाव को हाईलाइट कर रही है।
सवाल- आपकी संस्था को प्रशासन की तरफ से कितनी मदद मिलती है?
ऊषा- हमारी संस्था को प्रशासन की तरफ के कोई मदद नहीं मिलती है लेकिन प्रशासन को पता होता है कि अगर वो हमारी मदद नहीं करेंगे तो हम धरना प्रदर्शन करने लगते हैं। लड़कियां थानों में जाकर बैठ जाती हैं। पुलिस व्यक्ति को देखकर ही कार्रवाई करती हैं, अगर सामने वाला व्यक्ति मजबूत होता है तो पुलिस कार्रवाई नहीं करती है। पुलिस द्वारा हमारे साथ भेदभाव किया जाता है।
सवाल- आपकी संस्था की भविष्य में और कौन-कौन सी योजनाएं है?
ऊषा- दिल्ली, मुंबई और मेरठ में जल्द ही हमारी नई टीमें बनाई जाएंगी। देश या विदेश में जहां कहीं भी महिलाओं के साथ आपराधिक गतिविधियां हो रही हैं, वो हमसे सम्पर्क कर सकती हैं। हमारी संस्था निश्चित उनकी मदद करेगी।
Visit Red Brigades : http://red-brigades.blogspot.in/
Interview source : http://wikileaks4india.com/news/indias-red-brigade-hits-back-at-attackers-women-337
ऊषा- दिल्ली, मुंबई और मेरठ में जल्द ही हमारी नई टीमें बनाई जाएंगी। देश या विदेश में जहां कहीं भी महिलाओं के साथ आपराधिक गतिविधियां हो रही हैं, वो हमसे सम्पर्क कर सकती हैं। हमारी संस्था निश्चित उनकी मदद करेगी।
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Interview source : http://wikileaks4india.com/news/indias-red-brigade-hits-back-at-attackers-women-337
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