आज के मॉडल भी क्या ख़ाक मॉडल हैं,
मॉडल तो हम हुवा करते थें बचपन में ,
जब माँ के हाथ से बनी हुवी स्वेटर पहन कर निकलते थे घर से और
अपने मुहोल्ले ,दूसरे मुहोल्ले और रिश्तेदारी में औरते खीच खीच कर
आगे पीछे से टटोलती और आपस में बात करती कि
हाँ आ गया समझ में
हाँ आ गया समझ में
दो फंदे सुल्टे और तीन फंदे उल्टे .....
कसम से मॉडल वाली फीलिंग आती थी
कसम से मॉडल वाली फीलिंग आती थी
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